भारतीय सेना में 28 वर्षीय मेजर बीना तिवारी ने हाल ही में सेना के ट्विटर अकाउंट पर अपनी एक तस्वीर साझा करने के बाद से काफी चर्चा में हैं। अभी हाल ही में तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप के भारत सरकार द्वारा भेजे गए टीम का हिस्सा थी। वह तुर्की के एक पैराफिल्ड अस्पताल में तैनात थी, जो भूकंप से प्रभावित था। मेजर बिना तिवारी के पिता, मोहन चंद्र तिवारी, कुमाऊँ रेजिमेंट से एक सूबेदार मेजर के रूप में सेवानिवृत्त हुए, जबकि उनके दादा खिलानंद तिवारी ने भी उसी रेजिमेंट में सेवा की और एक सूबेदार के रूप में सेवानिवृत्त हुए। गौरतलब है कि बीना उस 99-सदस्यीय चिकित्सा दल का हिस्सा हैं जिसे सहायता और बचाव कार्य प्रदान करने के लिए भारत के "ऑपरेशन दोस्त" पहल के तहत तुर्की भेजा गया था। मेजर बिना की माँ ने बताया कि वे हर दिन केवल कुछ मिनट के लिए ही बीना से बात कर पाते थें। बीना के पिता ने अपनी बेटी की सेवा और परिवार की सैन्य सेवा की परंपरा पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि बीना अपने मिशन की चुनौतियों का बहादुरी और गरिमा के साथ सामना कर रही है। भूकंप से त्रस्त तुर्की में 3,500 से अधिक रोगियों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के 12 दिनों के बाद, ऑपरेशन दोस्त के तहत तैनात भारतीय सेना की चिकित्सा टीम भारत लौट आई है। इस्केंडरन, हटे में टीम ने 30-बेड वाले फील्ड अस्पताल को सफलतापूर्वक चलाया, जिसमें चौबीसों घंटे लगभग 4,000 रोगियों की देखभाल की गई। मेजर बीना तिवारी, जिन्होंने चिकित्सा अधिकारी के रूप में सेवा की, ने जीवन और संसाधनों के भारी नुकसान के बीच इस्केंडरन में एक स्थानीय अस्पताल के पास एक इमारत में अस्पताल स्थापित करने के अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने स्थानीय लोगों और तुर्की सरकार से मिली मदद का जिक्र किया और बताया कि कैसे उनके साथ बहुत ही घरेलू व्यवहार किया जाता था। 60 पैरा फील्ड अस्पताल के सेकेंड-इन-कमांड लेफ्टिनेंट कर्नल आदर्श शर्मा ने आपदा के लिए उन्हें भेजने के भारत सरकार के त्वरित निर्णय को धन्यवाद दिया और कहा कि मिशन समय पर चिकित्सा देखभाल प्रदान करके लोगों का दिल और दिमाग जीतना है। लेफ्टिनेंट कर्नल शर्मा ने बताया कि आदेश मिलने के बाद 8-10 घंटे के भीतर मिशन को गति दी गई और टीम 8 फरवरी की सुबह तुर्की के अदाना हवाई अड्डे पर पहुंची। वहां से, भारतीय चिकित्सा दल ने इस्केंड्रन में अपना फील्ड अस्पताल स्थापित किया और चिकित्सा सहायता प्रदान की। इस दौरान 3600 से अधिक मरीजों को चिकित्सा और देखभाल मुहैया कराई गई और मरीज भारत और उसकी टीम के बहुत आभारी थे। गौरतलब है कि भारत तुर्की और सीरिया में खोज और बचाव प्रयासों का जवाब देने वाले पहले देशों में से एक था, और भारत सरकार ने ऑपरेशन दोस्त के तहत भारतीय सेना के सहयोग से बड़ी मात्रा में राहत सामग्री और विशेष खोज और बचाव दल भेजे। तुर्की और सीरिया के बुरी तरह से प्रभावित क्षेत्रों में एक मोबाइल अस्पताल और 250 सैन्य कर्मियों के साथ-साथ एनडीआरएफ की तीन आत्मनिर्भर टीमों और विशेष वाहनों और अन्य आपूर्तियों को भी तैनात किया गया था। एनडीआरएफ की टीमों ने बचाव कार्यों में सहायता प्रदान की, और मेडिकल टीम ने इस्केंडरन में फील्ड अस्पताल स्थापित किया।
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