कौन थे बदलूराम जिसका राशन खाती है सेना?

Team India Sentinels Monday 27th of February 2023 02:10 PM



बदलु राम का बदन  सॉन्ग असल में भारतीय सेना की असम रेजिमेंट का रेजिमेंटल सॉन्ग है। 

जहां भी असम रेजिमेंट के सैनिक होंगे, वहां यह गाना ज़रूर सुनाई देगा।  दरअसल बदलूराम की कहानी दूसरे विश्व युद्ध के समय की है। 

कहा जाता है कि असम रेजिमेंट के फौजी बदलूराम जापानी सेना के साथ संघर्ष में शहीद हो गए थें। लेकिन उनकी शहादत की जानकारी क्वार्टर मास्टर तक नहीं पहुंची। 

उस समय हर सैनिक के नाम का राशन आता था। और राशन की लिस्ट से बदलूराम का नाम नहीं हटा। बदलूराम के मौत की खबर क्वार्टर मास्टर तक नहीं पहुंची और बदलूराम के हिस्से का राशन आता रहा। 

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब जापानी सेना ने भारतीय सैनिकों की सप्लाई लाइन काट दी तो  इस मुश्किल वक़्त में वही जमा हुआ राशन काम आया, जो बदलूराम के नाम पर आ रहा था। 

बदलूराम दूसरे विश्व युद्ध के दौरान असम रेजिमेंट की अल्फा कंपनी में तैनात थे। बदलूराम जैसामी की जंग में मारे गए। साल 1945 तक बदलूराम का कोई गाना नहीं था। 

उस वक़्त बटालियन की कमांड लेफ्टिनेंट कर्नल पारसन्स के पास थी। वह जब छुट्टी से वापस आए, तब उसी दौर में बदलूराम का गीत सामने आया। 

इस गीत को अंग्रेज़ अफ़सर मेजर मार्विन प्रोक्टर ने लिखा था। उन्होंने रेजिमेंट के कई जवानों को बदलूराम के बारे में बात करते सुना। इस दौरान सैनिक बदलूराम की बात करते कि किस तरह उनके मौत के बाद भी उनका राशन आता रहा। 

मेजर प्रोक्टर को लगा कि बदलूराम का किस्सा सभी सैनिकों के बीच काफी लोकप्रिय है। तब उन्होंने इस पर गाना लिखा। इस गाने की धुन अमेरिकी गृह युद्ध के समय बने एक गीत 'जॉन्स ब्राउन बॉडी' से ली गई है। 

और फिर साल 1946  'बदलूराम का बदन' गाना बना और ये तब से ही काफी लोकप्रिय रहा है। गाने के बारे में बताते हुए असम रेजिमेंट के एक अधिकारी बताते हैं कि जो असल गाना है उसके बोल हैं, 'बदलूराम का बदन ज़मीन के नीचे है, तो 'हमने' उसका राशन मिलता है।' 

अब चूंकि गाना अंग्रेज़ अफ़सर ने लिखा है, तो उनकी हिंदी भी कामचलाऊ किस्म की थी। वह शायद 'हमने' की जगह 'हमको' लिखना चाह रहे होंगे। 

इस गाने में एक शब्द आता है "शाबाश हुल्लेलुया"। इससे पता चलता  है कि यह गाना किसी ईसाई अंग्रेज़ ने लिखा होगा, क्योंकि हुल्लेलुया शब्द बाइबल से आया है। बहरहाल जो भी हो, बदलूराम का बदन गाना आज न सिर्फ असम रेजिमेंट की पहचान है बल्कि आम लोगों के बीच भी काफी लोकप्रिय है। बदलूराम मर के भी अमर हो गए 


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